रिपोर्टर॥ मुंबई
महानगर के कई मुस्लिम संगठनों और बुद्धिजीवियों ने बांग्लादेश की सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा वहां विरोधी प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ की जा रही दमनात्मक कार्रवाई पर विरोध जताया है। इन्होंने बांग्लादेश सरकार से दमनात्मक कार्रवाई तुरंत रोकने की मांग की है।
ऑल इंडिया उलेमा कौंसिल , अहिंसा समन्वय मंच , ऑल इंडिया मुस्लिम मशावरात और जमाते इस्लामी जैसे संगठनों ने मीडिया से बातचीत के दौरान बांग्लादेश की राष्ट्रपति शेख हसीना पर राजनीतिक विद्वेश के तहत कार्रवाई का आरोप लगाते हुए भारत के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से हस्तक्षेप की मांग की , ताकि वहां न्यायपूर्ण शासन चले। वक्ताओं ने जोर दिया कि जब 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता बाद शेख मुजीबुर्रहमान ने 190 लोगों की लिस्ट जारी कर उन्हें युद्ध के दौरान अत्याचार का दोषी बताया था , इनमें से एक भी व्यक्ति जमाते इस्लामी से ताल्लुक नहीं रखता था। बाद में राष्ट्रपति मुजीबुर्रहमान ने इन सबको क्षमादान दे दिया था। 42 साल बाद नए सिरे युद्ध अपराधियों की सूची तैयार कर उन्हें दंडित किया जाना कहां का न्याय है। वक्ताओं ने बांग्लादेश में झूठे मामलों में फंसाए गए लोगों की तुरंत रिहाई की मांग की।
महानगर के कई मुस्लिम संगठनों और बुद्धिजीवियों ने बांग्लादेश की सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा वहां विरोधी प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ की जा रही दमनात्मक कार्रवाई पर विरोध जताया है। इन्होंने बांग्लादेश सरकार से दमनात्मक कार्रवाई तुरंत रोकने की मांग की है।
ऑल इंडिया उलेमा कौंसिल , अहिंसा समन्वय मंच , ऑल इंडिया मुस्लिम मशावरात और जमाते इस्लामी जैसे संगठनों ने मीडिया से बातचीत के दौरान बांग्लादेश की राष्ट्रपति शेख हसीना पर राजनीतिक विद्वेश के तहत कार्रवाई का आरोप लगाते हुए भारत के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से हस्तक्षेप की मांग की , ताकि वहां न्यायपूर्ण शासन चले। वक्ताओं ने जोर दिया कि जब 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता बाद शेख मुजीबुर्रहमान ने 190 लोगों की लिस्ट जारी कर उन्हें युद्ध के दौरान अत्याचार का दोषी बताया था , इनमें से एक भी व्यक्ति जमाते इस्लामी से ताल्लुक नहीं रखता था। बाद में राष्ट्रपति मुजीबुर्रहमान ने इन सबको क्षमादान दे दिया था। 42 साल बाद नए सिरे युद्ध अपराधियों की सूची तैयार कर उन्हें दंडित किया जाना कहां का न्याय है। वक्ताओं ने बांग्लादेश में झूठे मामलों में फंसाए गए लोगों की तुरंत रिहाई की मांग की।
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